15 हजार परीक्षार्थी देते हैं प्राइवेट परीक्षा
राजनांदगांव, स्नातक व स्नातकोत्तर की पढ़ाई में नई शिक्षा नीति नियमित के साथ प्राइवेट विद्यार्थियों के लिए सिरदर्द बन गई है। क्योंकि न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत फस्र्ट ईयर प्राइवेट के विद्यार्थियों को भी ऑनलाइन शॉर्म भरने के बाद नियमित विद्यार्थियों तरह कॉलेज जाना पड़ रहा है। इसके साथ उन्हें आंतरिक मूल्यांकन और पायोगिक परीक्षाएं देनी पह रही है। इसके अलावा उन्हें अपने चुने गए विषयों पर निर्धारित मॉडल (असाइमेंट) भी जमा करना पड़ेगा। नई शिक्षा नीति ऑटोनॉमस कॉलेजों में पहले ही लागू हो गया है प्रदेशभर के सभी कॉलेजों में लागू कर दिय गया है। इस सत्र इसी के तहत पढ़ाई हो रही है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी का असर प्राइवेट विद्यार्थियों पर भी पड़ रहा है। पाठ्याक्रम, पढ़ाई परीक्षा और पासिंग मार्क भी बदल गया है। साथ ही प्राइवेट विद्यार्थियों को भी सेमेस्टर सिस्टम सही कक्षाएं पास करनी पड़ेगी। हालांकि फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर चुके विद्यार्थियों को ईयरली परीक्षाएं देनी होगी।

असमंजस में हैं विद्यार्थी
प्राइवेट रूप में स्नातक और स्नाकोत्तर में प्रथम सेमेस्टर की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी ऑनलाइन परीक्षा फार्म भर चुके हैं। फार्म भरने के बाद कई विद्यार्थियों को पता ही नहीं है कि उन्हें आगे क्या करना है। ऐसे विद्यार्थियों को संबंधित कॉलेज से फोन वार जानकारी दी जा रही है।
संख्या अब घट रही
बता दें कि राजनांदगांव शहर से तकरीबन 20 हजार विद्यार्थी यूजी और पीजी के लिए प्राइवेट परीक्षा फार्म भरते हैं, इसमें दिग्विजय कॉलेज में ही 10 हजार से अधिक विद्यार्थी फार्म जमा करते थे। कमला कॉलेज और साइंस महाविद्यालय में भी स्वाध्यीय विद्यार्थी पार्म जमा करते हैं। विग्विजय कॉलेज प्रबंधन ने गिनती के प्राइवेट परीक्षार्थियों का परीक्षा फार्म ले रहे हैं। ऐसे में कमला कॉलेज और साइंस कॉलेज में ही स्वाध्यीय परीक्षार्थी फार्म जमा किए हैं। पिछले सालों की तुलना में प्राइवेट परीक्षार्थियों की संख्या घट गई है। प्राइवेट में विद्यार्थियों की संख्या घटने से कॉलेजों को मिलने वाली जनभागीदारी शुल्क (राजस्व) का नुकसान हो रहा है।
पोर्टल में ही देनी चाहिए पूरी जानकारी
इस मामले में एनएसयूआई के संयुक्त महासचिव राजा यादव का कहना है कि पोर्टल में में ही विद्यार्थियों को पातयक्रम पढ़ाई और परीक्षा संबंधी पूरी जानकारी देनी चाहिए। इसके अलावा नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को पेपर का रीवेल (रीचेक) की भी सुविधा देनी चाहिए।